सारी मय उतर गई ।
जब उन पर नज़र गई ।।
हैरां चांद सोचकर ।
वो कितना निखर गई ।।
आशिक इश्क़ में जले ।
क्या उनको ख़बर गई ।।
रुप उसका तिलिस्म है ।
मंतर फूँक कर गई ।।
नज़रें रूह तू हटा ।
दिल में वो उतर गई ।।
रचना निम्नलिखित बह्र में है:
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
22 22 22
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