**कलहांतरिता**: नाट्यशास्त्र के अनुसार जो नायिका पहले प्रिय से झगड़ा करती है और उसके चले जाने के बाद पछताती है
काहे लड़ी मैं सखी पिया से।
बोले ना अब मोसे पिया रे।
बात तो थी बड़ी छोटी सी ।
बुझी ना पर मति मोटी सी ।
यूं ही पहाड़ राई का बनाया ।
सखी मैने पिया को सताया ।
अब रह रह हाय पछताऊं ।
क्या ये मैने क्या किया रे ।
बोले ना अब मोसे पिया रे।
क्या करूं सखी कैसे मनाऊं।
करूं मनुहार ,चरण पड जाऊं।
कर श्रृंगार पिया को रिझाऊं।
हुई चूक अब मैं कैसे बताऊं।
शुद्र सी बात मन न लगाना।
कहा जो न कहा जिया से ।
बोले ना अब मोसे पिया रे।
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